परिचय
*मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल की प्राचीन लोककला है, जो बिहार के मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया और मधेपुरा जिलों में प्रचलित है।
*यह चित्रकला शैली मिथिला की संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं को अभिव्यक्त करती है।
मधुबनी चित्रकला के प्रकार
1. भित्ति चित्र (दीवार चित्रण)
इसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है:
1👉 गोसनी घर की सजावट – धार्मिक महत्व के चित्र, जिनमें देवी-देवताओं का चित्रण होता है।
2👉 कोहबर घर की सजावट – विवाह के दौरान बनाए जाने वाले चित्र, जो यौनशक्ति एवं वंशवृद्धि का प्रतीक होते हैं।
2. अरिपन (भूमि चित्रण)- यह चित्र आँगन, तुलसी चौरा और चौखट के सामने बनाए जाते हैं। इन्हें चावल के घोल से उँगलियों की सहायता से निर्मित किया जाता है। अरिपन पाँच प्रमुख श्रेणियों में विभाजित हैं:
1👉 मनुष्य एवं पशु-पक्षियों के चित्र
2👉 वृक्षों, फूलों और फलों के चित्र
3👉 तंत्रवादी प्रतीकों पर आधारित चित्र
4👉 देवी-देवताओं के चित्र
चित्रांकन की तकनीक एवं रंगों का उपयोग
*चित्र अंगुलियों से या बांस की कूची से बनाया जाता है।
*रंग प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किए जाते हैं जो चटक रंगों का होता है, रंगों के प्रकार और उनके प्राकृतिक स्रोत इस प्रकार है-
लाल रंग - कुसुम के फूलों से अथवा शहतूत के फूलों से, लाल मिट्टी, सिंदूर, पीसे हुए सरसों में सिंदूर मिला कर बना रंग।
काला रंग- काजल, जौ जलाकर उससे मिलने वाले काले राख को गाय के गोबर में मिलाकर।
हरा रंग- सीम से पतों से बनाया जाता है।
पीला रंग- हल्दी, चुना एवं बेर के पतों का रस मिलाकर बनाया जाता है।
सफेद रंग - चावल एवं उड़द के पेस्ट से बनाया जाता है।
नीला रंग- नील से।
नारंगी रंग- पलाश के फूलों से।
चित्रण में रंगो का समायोजन
लाल रंग- आग, प्रेम, जुनून और ऊर्जा, काला रंग- वायु, मिट्टी और पृथ्वी हरा रंग- प्रकृति,विकासऔर जीवन, पीला रंग- सूर्य,उर्वरता,एवं समृद्धि , सफेद रंग -पानी,शुद्धता और पवित्रता नीला रंग- ईश्वरत्व, आकाश और शांति, नारंगी रंग- खुशी और उत्सव के लिए प्रयुक्त होता है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
*अरिपन और कोहबर चित्रकला का धार्मिक महत्व है और इसे शुभ माना जाता है।
*परंपरागत रूप से यह कला मुख्यतः मिथिला क्षेत्र के ब्राह्मण और कायस्थ परिवारों में प्रचलित थी, लेकिन 1960 के बाद इसकी लोकप्रियता बढ़ने से अन्य जातियों में भी इसे अपनाया गया।
मधुबनी चित्रकला की प्रमुख कलाकार
कुछ प्रमुख कलाकार:
सियादेवी, कौशल्या देवी, भगवती देवी, शशिकला देवी, महासुंदरी देवी (पद्मश्री 2010), यमुना देवी, बौआ देवी, गंगा देवी, शांति देवी, गोदावरी दत्त, भारती दयाल, त्रिपुरा देवी, विमला दत्त, उर्मिला झा, सीता देवी, मैना देवी आदि।
